कलियुग का प्रभाव





कलियुग का प्रभाव
गीत

जब कलि के कलुष कष्ट देंगे, 
तो यारो कुछ ना कर  पाओगे। 
अपने ही साथ को छोड़ेंगे , 
न जी पाओगे न मर पाओगे। 
1
यह सारा जगत स्वार्थी है,
तुम किसको अपना मानोगे।
जब सारे प्रयत्न विफल होंगे, 
तब ही इसको पहचानोगे। 
न कोई समझने वाला है, 
कैसे किसको समझाओगे। 
2
यह कैसा जगत निराला है, 
जो खुद बीमार वो वैद्य बड़ा। 
वह दानवीर और दाता है, 
जो खुद औरों के द्वार खड़ा। 
जब सारे भेड़ की चाल चलें, 
किस किस को भला बचाओगे। 
3
है ज्ञान को देना सरल बहुत, 
उस ज्ञान पै चलना मुश्किल है। 
प्रण करना बहुत सकल लेकिन, 
पर प्रण का पलना मुश्किल है। 
सोने का अभिनय करता जो, 
उसको क्या भला  जगाओगे। 
4
अपने अभिमान के कारण ही, 
जो करता किसी का मान नहीं। 
उसका भी विनोदी इस जग में, 
होता है कभी सम्मान नही। 
जैसा भी करोगे कर्म यहाँ, 
तुम वैसा ही फल पाओगे। 

विनोदी महाराजपुर



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7 Comments

Suryansh

11-Oct-2022 02:30 PM

बहुत ही सुंदर संदेशों का वहन करती हुई कविता

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Pratikhya Priyadarshini

08-Oct-2022 11:06 PM

Very nice 👍

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Bahut khoob 💐👍

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